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शनिवार, 14 अप्रैल 2018

जीवनी :- कैसे तय हुआ आशा वैष्णव का संगीत का सफर


जीवनी :- कैसे तय हुआ आशा वैष्णव का संगीत का सफर
Aasha Vaishnav Biography आशा वैष्णव जीवनी

            
  02 - Jan. - 1985




गायिका आशा वैष्णव
02 - Jan. - 1985
  • जीवनी :राजस्थान की लोक गायिकी भजन की बात करे तो आज जो नाम हर जगह सुना जाता है राजस्थानी संगीत जगत की मुख्य गायिका है |राजस्थानी संगीत जगत में कई वर्षों से ज्यादा वक्त बिता चुके है | इन्हे मुख्य नाम के अलावा गुजरात कि शेरनी तथा राष्ट्रवादी गायिका, स्वर कोकिलाहिन्दवी शेरनी के नाम से भी जाना जाता है इन्हें सर्वश्रेष्ठ गायिका के तौर पर कई बार उन्हें अवार्ड तथा पुरस्कार भी मिल चुके हैं गायन के साथ साथ टीवी प्रजेंटर और डायरेक्टर का भी काम कर चुके हैं |
  • प्रष्ठभूमि : संघर्ष की मूर्ति श्रीमती आशा वैष्णव गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में 2 जनवरी 1985 में जन्म हुआ ।पारिवारिक पृष्ठभूमि में संगीत विरासत में प्राप्त हुआ इनके  ।बड़ी बहन  के गुजराती स्टेज़ प्रोग्राम में आशाजी 12 वर्ष की उम्र में ही जाने लगी थी और प्लेबैक सिंगर सिंगर के तौर पर धीरे धीरे गुजराती स्टेज़ प्रोग्राम में शरीक होने लगीं और इतनी कम उम्र में ही गुजराती डांडिया रास के गरबे गाने लगीं।सँगीत का ज्ञान बड़ी बहन से प्राप्त होता रहा ।लगातार मेहनत की बदौलत उनकी गायिकी के स्वर गुजरात के गरबो में धूम मचाने लगे।18 वर्ष की आयु होते होते गुजरात के संगीत का जाना पहचाना नाम बन गया ।इस दरम्यान उनको गरबो के प्रोग्राम हेतु विदेशी धरती इंग्लैंड भी जाना हुआ
  • पढ़ाई : संगीत में रुचि के कारण आशाजी 12वी तक ही अध्ययन कर पाई क्योकि उनका लक्ष्य तो सँगीत की और था उनका तन मन सँगीत में ही रमा था । 
  • शादी : आशाजी का विवाह भी संगीत जगत से जुड़े शंकरभाई वैष्णव से हुआ । आशाजी को अपनी जन्मभूमि गुजरात को छोड़कर राजस्थान के पाली जिले में स्थित आना गांव से नाता जुड़ गया 
  • करियर : गुजरात मे पली बढ़ी और शिक्षा दीक्षा गुजराती में होने के कारण राजस्थान के लोकसंगीत भजन आदि को अपनाना कठिन था ।लेकिन व्यक्ति अगर ठान ले तो चाहे कितनी भी विपत्तियां ,कष्ठ आये वह पार पा जाता है ।जिस भाषा को आप सही ढंग से बोल भी नही पाते हो उस भाषा मारवाड़ी  में भजन प्रस्तुत करना एक चुनौती थी लेकिन आशाजी ने भी कड़ी मेहनत और लगन तथा अपने ससुराल पक्ष और विशेष कर अपने जीवन साथी के पूर्ण सहयोग से राजस्थान को भी गुजरात की तरह अपनी आवाज से अपना बना लिया ।आशाजी को प्रथम बार गाने अवसर परशुराम महादेव (पाली) में मिला जहाँ उन्होंने "नगर में जोगी आया ........... "भजन गाकर श्रोताओं को तर बतर कर दिया।


  • प्रसिद्ध गाने : नगर में जोगी आया , नौपत नगाड़ा ढ़ोल , माताजी कठे सुता रे सुखभर नींद मे , गुरु म्हारा तारण हार , पधारो भेरूजी बावजी , रुडो ने रूपालों , मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू , जय जय राजस्थान आदि अपने प्रथम गाने की सफलता और महादेव के आशीर्वाद से लगातार गाना जारी रखा ,तत्पश्चात उनका एक सुपरहिट भजन सोनाणा खेतलाजी का " थारे पगे घुंगरिया री मार भैरूजी लटियाला........"जो कि पूरे राजस्थान में उनकी आवाज़ में हर घर मे सुना जाने लगा ,ये उनकी मारवाड़ी गायिकी सबसे पहला सफल भजन था ।इसके बाद आशाजी ने कभी मुड़कर नही देखा । आज ऐसा शायद ही कोई भजन होगा जो आशाजी अपने कार्यक्रम में नही गाती हो ।लगातार मेहनत और राजस्थान के श्रोताओं का असीम प्रेम वर्ष 2015 तक उन्हें पूरे राजस्थान में प्रथम गायिका के रूप में पहचान मिली ।2015 के बाद इन तीन वर्षो में  सरल स्वभाव और अपनी ओजस्वी आवाज़ की वजह से इनके फैन्स ने उनको राष्ट्रवादी गायिकास्वर कोकिलाहिन्दवी शेरनी जैसी कई उपाधिया दी ।अपनी सुरीली आवाज में कई प्रोग्राम में देश भक्ति ऐसे गाने गाए जो you tube चैनल आदि पर धूम मचा रहे है।
  • गायन के क्षेत्र :  राजस्थान ही नही भारत के कई राज्य मध्य्प्रदेश ,दिल्ली कर्नाटक,तमिलनाडु,महाराष्ट्रगुजरातमें भी गायिकी का जादू बिखेर रही है । अपनी प्रतिभा से सुरीली आवाज से आशाजी  एक प्रमुख चेहरा है।               

  •  वर्ष 2018 की पहचान :आज भजन गायक और गायिकाओं का नाम आता है तो आशाजी को प्रथम स्थान देते है ।अभी हाल ही 30 मार्च 2018 को राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में राजस्थान की वीरता का गुणगान करने वाला गाना MAA फ़िल्म के जरिये 13 अप्रेल को लांच किया। जो पूरे राज्य में धूम मचा रहा है। 









Dinesh kumar mali
         7568159924

5 टिप्‍पणियां:

  1. सफलता ओर मेंन्त कि डोर बोहत मज्बुत होती है
    वो कहा से कहा तक लेके जाती हैं ये बात किसी भी व्यक्ति को मालुम नहीं होता?????
    शंकर जी ऐक छोटी सी कहानी है
    ऐक आश्रम में ऐक शिष्य था उसका ऐक हि काम करता जो भी आया सेवा करना ओर बाद में जितने खाने पिने के बर्तन वो खुद साफ करता था ।।
    ऐक दिन गुरूजी का समय परलोक जाने का आ गया ।।
    पर आश्रम मे शिष्य बोत थे वहा शिष्य ने पुसा गुरदेव अब आप की चोहकट कोन सभालेगे आप किसको बिठाहेगे गुरदेव ने समय आने पर बताऊगा जब आकरी समय आ गया तो गुरूजी ने उस शिष्य को बताया जो बर्तन धोता वहा साफ सफाई रकता था तो येहे मेंन्त कि डोर कहा पे था और कहा पोसगया

    जवाब देंहटाएं

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