नाकोड़ा जैन तीर्थ
जिसकी सुंदर तस्वीर Bhanu Maheshwari द्वारा click कि गई है।
एक अत्यंत प्राचीन तीर्थ स्थल है जो #राजस्थान राज्य में बाडमेर के #नाकोडा ग्राम में स्थित है।
यहां पर विख्यात विशाल मेला पौष माह की दशमी को मेला लगता है जिसको लेकर के नाकोड़ा तीर्थ में कई महीनों पहले भी तैयारियां शुरू हो जाती है।
नाकोड़ा जैन तीर्थ रेल मार्ग के द्वारा आने के लिए आप #बालोतरा रेलवे स्टेशन पर उतरकर वहां से हर आधे घंटे में टैक्सी #जसोल मार्ग से होकर नाकोड़ा पहुंचती है आप यह रास्ता अपना सकते है।
जैन तीर्थ नाकोड़ा में रात्री विश्राम के लिए नाकोड़ा में कमरा बुकिंग भी करवा सकते है जिसके लिए तीर्थ धाम नाकोड़ा कि official web - www.Nakodateerth.com पर जाकर आप बुक कर सकते है या आप फोन लगाकर भी बुक कर सकते है - 02988240005
यहां पर आने वाले दर्शनार्थियों के नाश्ता एवं भोजन हेतु भोजनशाला की भी मंदिर ट्रस्ट द्वारा व्यवस्था है जिसमें सुबह 8 से 10 तक नाश्ता करने का समय निर्धारित है। भोजन हेतु सुबह 11 से 1:30 तक एवं सांयकालीन भोजन 5 बजे से 7 तक का समय निर्धारित है। जिसका शुल्क कटवाकर कर इस सुविधा का लाभ ले सकते है।
यहां पर दर्शनार्थ हेतु तारक मेहता का उल्टा शश्मा कि पूरी टीम कई बार आती है।
यहां नजदीक में ही बना हेलीकॉप्टर हेलीपैड जिसके कारण कई VIP Celebrity हेलीकॉप्टर मार्ग से भी दर्शनार्थ हेतु आते है।
• नाकोडा तीर्थ स्थल प्रमुख दो कारणों से विख्यात है-
पहला कारण
#श्वेताम्बर जैन समाज के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की दसवीं शताब्दी की प्राचीनतम मूर्ति का मिलना और पांच सौ छह सौ वर्षो पूर्व उस चमत्कारी मूर्ति का जिनालय में स्थापित होना। मुख्य मंदिर की भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा चूंकि सिन्दरी के पास नाकोडा ग्राम से आई थी, अतः यह तीर्थ नाकोडा पार्श्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह क्षेत्र लगभग दो हज़ार वर्ष से जैन आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहाँ के खेडपटन और मेवानगर अथवा विरामपुर इस संदर्भ में जैन ऐतिहासिक परम्पराओं से जुड़े रहे हैं।
दूसरा कारण
तीर्थ के अधियक देव श्री #भैरव देव की स्थापना पार्श्वनाथ मंदिर के परिसर में होना है, जिनके देवी चमत्कारों के कारण हज़ारों लोग प्रतिवर्ष श्री नाकोडा भैरव के दर्शन करने यहाँ आते है और मनवांछित फल पाते हैं।
इतिहास
किदवंतियों के आधार पर श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा #पार्श्वनाथ तीर्थ का प्राचीनतम उल्लेख महाभारत काल यानि भगवान श्री नेमिनाथ जी के समयकाल से जुड़ता है किन्तु आधारभूत ऐतिहासिक प्रमाण से इसकी प्राचीनता विक्रम संवत 200-300 वर्ष पूर्व यानि 2000-2300 वर्ष पूर्व की मानी जा सकती है। अतः श्री नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ राजस्थान के उन प्राचीन जैन तीर्थो में से एक है, जो 2000 वर्ष से भी अधिक समय से इस क्षेत्र की खेड़पटन एवं मेवानगर की ऐतिहासिक सम्रद्ध, संस्कृतिक धरोहर का श्रेष्ठ प्रतीक है। मेवानगर के पूर्व में विरामपुर नगर के नाम से प्रसिद्ध था। विरामसेन ने विरामपुर तथा नाकोरसेन ने नाकोडा नगर बसाया था। आज भी बालोतरा- सीणधरी हाईवे पर नाकोडा ग्राम लूनी नदी के तट पर बसा हुआ है, जिसके पास से ही इस तीर्थ के मूल नायक भगवन की इस प्रतिमा की पुनः प्रति तीर्थ के संस्थापक आचार्य श्री किर्ति रत्न सुरिजी द्वारा विक्रम संवत 1090 व 1205 का उल्लेख है।
Pic Credit - Bhanu Maheshwari 🔥
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